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पुष्पराजगढ़ में ’23’ के कितने ‘चेहरे’ ? सियासी जमीन टटोल रहे दावेदार, गांव-गांव और गली-गली चौपाल, ‘यात्रा’ से टिकट की जुगत, जानिए सियासी रण में कितने चेहरे ?

पूरन चंदेल, राजेंद्रग्राम: मध्यप्रदेश में चुनाव नजदीक आ रहा है. ऐसे में अब सियासी गलियां सजने लगी हैं. सियासी चेहरे दिखने लगे हैं. सियासी रण में पकड़ मजबूत करने कूद पड़े हैं. कोई यात्रा निकाल रहे है, तो कही खुद को जनता का हितौषी बता रहा है, तो कोई गांव-गांव और गली-गली घूम लोगों से समर्थन जुटा रहा है. ये सब पुष्पराजगढ़ की तस्वीरें हैं, जो विधायक बनने के सपने संजो कर रखे हैं. टिकट के लिए सियासी जमीन तलाशने निकल पड़े हैं. पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक समीकरण बनाने में दोनो दलों के नेता चुनावी साल आते ही सक्रिय नजर आ रहे हैं. इनमें इस बार युवा चेहरे हावी नजर आ रहे हैं, क्योंकि इनकी फेहरिस्त लंबी है. पुष्पराजगढ़ की राजनीति में दोनों दलों के नेता आपसी सामंजस बनाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश में लग गए हैं.

दरअसल, पुष्पराजगढ़ की जनता अब चर्चा कर रही है की चुनावी साल आते ही ये नेता गली गली में खाक छानते नजर आने लगे हैं. भारत जोड़ो यात्रा, हाथ से हाथ जोड़ो तो अब विकास यात्रा लोगों को दिखाया जा रहा है. जनता सब देख रही है की विकास की यात्रा में विकास कहां और कब हुआ है, अगर विकास हुआ है तो लोगों को बताने की क्या जरूरत है ?

सामंजस बना कर चलते हैं नेता

जनता अब चाय में चर्चा करते बताती है कि पुष्पराजगढ़ विधानसभा के दोनों राजनीतिक दलों के नेता खुल कर जनता के पक्ष में सामने आते दिखाई नहीं पड़ते है और न ही अपने प्रतिद्वंदियों पर सवालिया निशान लगाते नजर आते हैं. पुष्पराजगढ़ के नेता लोगों को मूर्ख बनाने का काम कर रहे हैं, जिसे भी इस क्षेत्र की जनता ने सेवा करने का मौका दिया है, वही अपने परिवारजनों के लिए राजनीतिक पृष्ठभूमि तैयार करने में लगा रहता है या फिर क्षेत्र का विकास छोड़ खुद के ही विकास में लग जाता है, जिसका जीता जागता उदाहरण 2 दशकों का इतिहास चीख चीख कर गवाही दे रही है.

बीते 2 दशकों पर नजर

बीते 2 दशकों की बात करें तो पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2003 से भाजपा से प्रत्याशी रहे सुदामा सिंह को पुष्पराजगढ़ की जनता ने अपना प्रतिनिधत्व सौंपा, जो 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी का ही परचम लहरा सुदामा सिंह को ही कमान सौंपी गई थी. इनके 2 पंचवर्षीय कार्यकाल के विकास को देख क्षेत्र की जनता ने इन्हें 2013 के चुनाव में नकारते हुए कांग्रेस प्रत्याशी फुंदेलाल सिंह पर भरोसा जताया. समय बीता और फिर दूसरी बार पुष्पराजगढ़ विधानसभा की भोली भाली जनता ने एक बार सेवा का मौका वर्तमान के कांग्रेस विधायक फुंदेलाल सिंह पर जताया. दोनों ही दलो के नेताओं का कार्यकाल जनता ने देख लिया है.

कांग्रेस से युवा दावेदारी

पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, जिसके कारण यहां पर अनुसूचित जनजाति वर्ग की सीट आरक्षित रहती है. अगर वर्तमान विधायक को छोड़ कर बात की जाए तो युवा चेहरे में कांग्रेस से नर्मदा सिंह है, जो कि वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य हैं. क्षेत्र के विकास पुरुष स्वर्गीय दलवीर सिंह के भतीजे हैं. वहीं दूसरा नाम रोहित सिंह मरावी का है, जो क्षेत्र में आदिवासी नेता के रूप में पहचान रखते हैं. बीते 10 साल से igntu में nsui अध्यक्ष रहे है. आदिवासी कांग्रेस में प्रदेश सचिव का दायित्व रहा है. हाल ही में किसान कांग्रेस में जिला उपाध्यक्ष हैं.

वहीं तीसरा चेहरा हीरा सिंह टेकाम सरपंच ग्राम पंचायत करपा और वर्तमान में सरपंच संघ के अध्यक्ष हैं. पुष्पराजगढ़ कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष का भी पद संभाल चुके हैं. वर्तमान विधायक के करीबी हैं. बहरहाल इन युवा नेताओं में पार्टी किस पर दाव लगती है, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा या फिर वर्तमान विधायक पर ही पार्टी भरोसा जताएगी.

भाजपा से युवा चेहरे

2023 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में पुष्पराजगढ़ से भाजपा की बात की जाए तो पूर्व विधायक को छोड़कर युवा चेहरों में सबसे पहला नाम हीरा सिंह श्याम का आता है, जो 5 साल तक जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ के जनपद अध्यक्ष रहे हैं. आरएसएस से इनका गहरा नाता है. पार्टी में इनकी सक्रिय भूमिका है. जनचर्चा में शुमार हैं. वहीं दूसरे नंबर पर दावेदारी फूलचंद सिंह मरावी भी कर सकते हैं, जो वर्तमान में ग्राम पंचायत किरगी में सचिव पद पर कार्यरत हैं. साथ ही सचिव संघ के अध्यक्ष पद पर आसीन हैं. सभी ग्राम पंचायतों में इनकी अच्छी पकड़ है. आरएसएस से इनका भी गहरा नाता है.

वहीं भाजपा से मंडल राजेंद्रग्राम के अध्यक्ष प्रमोद सिंह मरावी भी दावेदारी कर सकते हैं, जो सांसद के करीबी माने जाते हैं और हाल ही में हुए चुनाव में अपनी धर्म पत्नी को जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ के अध्यक्ष पद पर आसीन कर अपना लोहा संगठन को मनवाया है. बहरहाल, इन युवा नेताओ में पार्टी किस पर दाव लगती है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा या फिर वर्तमान पूर्व विधायक पर ही पार्टी भरोसा जताएगी.

जनता के पास तीसरा विकल्प भी मौजूद

इस बार 2023 विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी भी ताल ठोकने को तैयार बैठी है. आदिवासी सीट होने के कारण जयस भी मैदान में अपना दावेदारी करेगी. जीजीपी भी अपनी किस्मत आजमाई करेगी. जनशक्ति चेतना पार्टी भी समीकरण बिगड़ने में अपनी भूमिका निभा सकती है. जैसे जैसे चुनाव का समय नजदीक आयेगा वैसे वैसे ही इन पार्टियों की दावेदारी के साथ तस्वीर साफ होते जाएगी कि कौन किस पार्टी का समीकरण बिगड़ेगी और जनता किस पर अपना भरोसा जाता अपना प्रतिनिधित्व का दायित्व सौंपेगी.

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