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Indore: एक ही नाम से दो दवाएं बिक रही मार्केट में, औषधि विभाग ने झाड़ा पल्ला

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मध्यप्रदेश के दवा बाजार में एक ही नाम से दो दवाएं बिक रही हैं। एक असली है और एक नकली। इसकी शिकायत के बाद भी ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स डिपार्टमेंट नकली दवा की बिक्री बंद नहीं करा पा रहा है। दोनों दवा लीवर की बीमारी के लिए है। एक एलौपेथिक है और दूसरी आयुर्वेदिक। 

इंदौर के रंगवासा क्षेत्र में एक दवा निर्माता कंपनी 26 साल से अल्काविन नामक दवा का निर्माण कर रही है। यह दवा मध्यप्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में भी जाती है। दो साल पहले इस नाम से गुजरात की एक कंपनी ने दवाई बनाई और मार्केट में बेचना शुरू कर दिया। इसकी बिक्री का लाइसेंस मध्यप्रदेश में खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने जारी किया है। इस वजह से अफसर इस दवा पर रोक लगाने में रुचि नहीं ले रहे हैं।

किसी भी प्रचलित दवा के नाम से यदि दूसरी दवा कंपनी दवा बनाए तो भ्रम पैदा होता है। ग्राहकों को कई बार नकली दवा मिल जाती है। इसका वह उपयोग ही नहीं होता, जो डॉक्टर ने मरीज को लिखकर दी है। अल्काविन के मामले में यही हो रहा है। इसके बाद भी अफसर शिकायतकर्ता से ही उसका प्रोडक्ट पुराना होने का सबूत मांग रहे हैं। इस मामले में मध्यप्रदेश के फूड कंट्रोलर शोभित से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि मेरे पास इसकी शिकायत नहीं आई है। इंदौर के अफसर मामला देख रहे होंगे।

आठ माह पहले की थी शिकायत
रगंवासा में अल्काविन दवा बनाने वाले निर्माता राजेेंद्र तारे का कहना है कि वे 26 साल सेे इस नाम का उपयोग कर दवा बना रहे हैं। दो साल पहले इसी नाम का उपयोग कर दूसरी कंपनी ने दवा बनाना शुरू कर दी। यह अपराध की श्रेणी में आता है। उन्होंने बताया कि औषधि विभाग को आठ माह पहले इसकी शिकायत की थी, लेकिन उन्होंने कोई एक्शन नहीं लिया।

हमने पत्र लिखा है
इस मामले में ड्रग इंस्पेक्टर लोकेश गुप्ता का कहना है कि शिकायत के बाद हमने गुजरात की कंपनी को पत्र लिखा है, लेकिन अभी जवाब नहीं आया। विभाग जैनेरिक नाम और फार्मूले के आधार पर अनुमति देता है। 

 

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मध्यप्रदेश के दवा बाजार में एक ही नाम से दो दवाएं बिक रही हैं। एक असली है और एक नकली। इसकी शिकायत के बाद भी ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स डिपार्टमेंट नकली दवा की बिक्री बंद नहीं करा पा रहा है। दोनों दवा लीवर की बीमारी के लिए है। एक एलौपेथिक है और दूसरी आयुर्वेदिक। 

इंदौर के रंगवासा क्षेत्र में एक दवा निर्माता कंपनी 26 साल से अल्काविन नामक दवा का निर्माण कर रही है। यह दवा मध्यप्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में भी जाती है। दो साल पहले इस नाम से गुजरात की एक कंपनी ने दवाई बनाई और मार्केट में बेचना शुरू कर दिया। इसकी बिक्री का लाइसेंस मध्यप्रदेश में खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने जारी किया है। इस वजह से अफसर इस दवा पर रोक लगाने में रुचि नहीं ले रहे हैं।

किसी भी प्रचलित दवा के नाम से यदि दूसरी दवा कंपनी दवा बनाए तो भ्रम पैदा होता है। ग्राहकों को कई बार नकली दवा मिल जाती है। इसका वह उपयोग ही नहीं होता, जो डॉक्टर ने मरीज को लिखकर दी है। अल्काविन के मामले में यही हो रहा है। इसके बाद भी अफसर शिकायतकर्ता से ही उसका प्रोडक्ट पुराना होने का सबूत मांग रहे हैं। इस मामले में मध्यप्रदेश के फूड कंट्रोलर शोभित से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि मेरे पास इसकी शिकायत नहीं आई है। इंदौर के अफसर मामला देख रहे होंगे।

आठ माह पहले की थी शिकायत

रगंवासा में अल्काविन दवा बनाने वाले निर्माता राजेेंद्र तारे का कहना है कि वे 26 साल सेे इस नाम का उपयोग कर दवा बना रहे हैं। दो साल पहले इसी नाम का उपयोग कर दूसरी कंपनी ने दवा बनाना शुरू कर दी। यह अपराध की श्रेणी में आता है। उन्होंने बताया कि औषधि विभाग को आठ माह पहले इसकी शिकायत की थी, लेकिन उन्होंने कोई एक्शन नहीं लिया।

हमने पत्र लिखा है

इस मामले में ड्रग इंस्पेक्टर लोकेश गुप्ता का कहना है कि शिकायत के बाद हमने गुजरात की कंपनी को पत्र लिखा है, लेकिन अभी जवाब नहीं आया। विभाग जैनेरिक नाम और फार्मूले के आधार पर अनुमति देता है। 

 

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