मासूमों की मौत के बाद मौत: ‘दिल्ली दरबार’ के चक्कर में चरमरा गई स्वास्थ्य सुविधाएं ? अंबिकापुर में आंसुओं की धार
सरकार के जिम्मेदार लोग कुर्सी के खेल में लगे हुए हैं, 5 नवजात शिशुओं की मौत का कौन जिम्मेदार है- कौशिक

रोहित बर्मन,रायपुर। छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है. बलरामपुर में 23 पंडो जनजाति की मौत के बाद अब अंबिकापुर से 5 नवजात बच्चों की मौत की सनसनीखेज खबर से हर कोई चिंतित है. इन मौतों ने छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग पर गहरे दाग भर दिए हैं. इस बीच स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के लगातार दिल्ली दौरे को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं. बीजेपी लगातार हमलावर है. कोई कह रहा है मंत्री जी से कुर्सी नहीं संभल रही है, तो कोई धर्म भूल जाने की बात कह रहा है.
दरअसल, मंत्री सिंहदेव अपनी महत्वाकांक्षा के चलते लगातार घिरते चले जा रहे हैं. बार-बार दिल्ली दरबार की चक्कर काट रहे हैं. ऐसे में उनके महत्वपूर्ण विभागों का बेपटरी हो गया है. स्वास्थ्य विभाग लापरवाह हो गया है. उनके अपने क्षेत्र में भी लगातार अनदेखी से माहौल उनके खिलाफ हो रहा है. कुपोषण से पंडो जनजाति के लोगों की लगातार मौत के बाद भी बाबा का उन परिवारों से मिलने के लिए नहीं जाना और दिल्ली में डेरा जमाना चर्चा का विषय बना हुआ है.
स्वास्थ्य विभाग की बदहाली को लेकर भाजपा की घेराबंदी के बीच कई बार मुख्यमंत्री को दखल देना पड़ा. ये भी टीएस सिंहदेव को नागवार लगा. इसकी शिकायत भी उन्होंने आला नेतृत्व से की थी, लेकिन सिंहदेव की अपने विभागों की लगातार अनदेखी की रिपोर्ट आलाकमान को मिल रही है.
मंत्री सिंहदेव को सोमवार शाम को रायपुर वापस लौटना था, लेकिन अंबिकापुर स्थित मेडिकल कॉलेज में नवजात बच्चों की मौत के मामले को तूल पकड़ता देख उन्हें अचानक रविवार शाम को ही वापस लौटना पड़ा. हैरानी की बात ये है कि टीएस सिंहदेव के दिल्ली आने के पहले ही ये घटना हो चुकी थी. उन्हें पूरी जानकारी भी थी, फिर भी वे दिल्ली चले आए. माना जा रहा है कि आलाकमान ने उन्हें निर्देश दिया है कि वे अपने काम पर फोकस करें, क्योंकि स्वास्थ्य महकमे की बिगड़ती तस्वीर का प्रतिकूल असर कांग्रेस और सरकार की छवि पर भी पड़ रहा है.
स्वास्थ्य मंत्री के लगातार दिल्ली जाने और दिल्ली में कांग्रेस के आला नेताओं से चर्चा ना हो पाना और वापस छत्तीसगढ़ आ जाना इस पूरे मसले को लेकर प्रदेश के प्रभारी पीएल पुनिया ने जानकारी नहीं होने की बात कही है. उन्होंने कहा कि सिंहदेव से उनसे बातें तो होती रहती हैं, लेकिन वह मुलाकात करने के लिए दिल्ली आए थे. इस बारे में उनके पास कोई जानकारी नहीं है.
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सरगुजा के सरकारी अस्पताल में 5 नवजात शिशुओं की मौत पर दुःख जताते कहा कि इस पूरी घटना के लिए कौन जिम्मेदार है? उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. प्रदेश में जिस तरह के हालत बनते जा रहे हैं, वो चिंताजनक हैं. प्रदेश सरकार के जिम्मेदार लोग कुर्सी के खेल में लगे हुए हैं. प्रदेश की पूरी जनता भगवान के भरोसे है. अब बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए आम लोगों को हड़ताल करना पड़ रहा है. इससे दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है?
प्रदेश में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था और छत्तीसगढ़ में लगातार बच्चों की हो रही मौत को लेकर बीजेपी नेता अनुराग सिंहदेव ने कहा कि छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री अपना धर्म भूल गए हैं. सिंहदेव न तो मंत्री पद का धर्म निभा पा रहे हैं ना ही विधायक पद का. उन्होंने कहा कि टी एस सिंहदेव सत्ता राप्ती की दौड़ में गांधी परिवार की परिक्रमा में व्यस्त हैं.
आनंद शुक्ला ने यह भी कहा कि घटना की जानकारी लगते ही स्वास्थ्य मंत्री ने अपना दिल्ली दौरा रद्द कर वापस छत्तीसगढ़ पहुंचे. इस पूरे मामले को संज्ञान में लिया है. वहीं क्षेत्र के प्रभारी मंत्री शिव कुमार डेहरिया ने आला अधिकारियों के साथ बैठक कर क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने का काम कर रहे हैं.
गौरतलब है कि आलाकमान पर दबाव बनाने के मकसद से टीएस सिंह देव पिछले कई महीनों से दिल्ली में ज्यादा और रायपुर में कम रहे हैं. कोविड के प्रकोप के बीच भी वे दिल्ली में लगातार 20 दिन से ज्यादा रुके थे. इसके बाद भी कभी जन्मदिन तो कभी पारिवारिक उत्सव के बहाने वे लगातार दिल्ली आते रहे हैं.
कुछ दिन पहले देव ने बस्तर से आए आदिवासियों से रायपुर में मिलकर अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया. हालांकि उनका ये दांव भी नही चला और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासी समुदाय से विभागीय मंत्री के साथ मिलकर उनकी शिकायतों को दूर किया.
बहरहाल, छत्तीसगढ़ में सीएम की कुर्सी दौड़ न लोगों की परेशानी की रेस बढ़ा दी है. प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के साथ अन्य कामकाज भी ठप पड़े हैं. प्रदेश में सियासत की खेल इस कदर जारी है कि समस्याओं की बोझ आम लोग ढो रहे हैं. कहीं अस्पताल में बिस्तर नहीं तो कहीं डॉक्टर्स की लापरवाही से इलाज नहीं हो रहा है. मासूमों के साथ लोग मौत के मुंह में समाते जा रहे हैं. अब देखने वाली बात है कि प्रदेश में इन 5 मासूमों की मौत के बाद स्वास्थ्य अमला जागता है या फिर दिल्ली दरबार के चक्कर में आंसुओं की धार बहती रहेगी.
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