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MP Mission 2023: जयस की यूथ कार्ड से टक्कर देने की तैयारी, औवेसी की पार्टी समेत SC,OBC को भी एक करने में जुटी

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मध्य प्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव में एक साल से भी कम का समय बचा है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दल का फोकस आदिवासी वोटरों पर है। इस बीच आदिवासी संगठन जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) संगठन सामाजिक संगठनों और छोटे दलों को एकजुट कर तीसरा विकल्प बन कांग्रेस और बीजेपी को टक्कर देने की तैयारी में जुट गया है।

जयस ने एससी और ओबीसी वर्ग की उपेक्षित जातियों को अपने साथ मिलाकर अपना दायरा बढ़ाना शुरू कर दिया है। इसमें अब ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को भी साथ लाने की तैयारी में हैं। जय आदिवासी युवा शक्ति के राष्ट्रीय संरक्षक और कांग्रेस से विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने 2023 के चुनाव में आदिवासियों के लिए आरक्षित और प्रभाव रखने वाली 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके है।
अब जयस अपने साथ अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अन्य छोटे दलों को साथ लाने की तैयारी कर रहा है। इसको लेकर भोपाल में सामाजिक परिचर्चा एवं संगोष्ठी का आयोजन भी 10 दिसंबर को किया जा रहा है। इससे पहले डॉ. अलावा ने बताया कि हमारा उद्देश्य प्रतिभाशाली युवाओं को जोड़कर सच्चे राष्ट्र भक्तों की टीम तैयार कर देश के लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करना तथा संविधान की रक्षा एवं उसका शत प्रतिशत अनुपालन करना है।

प्रदेश में आदिवासी वर्ग सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका निभाता है, लेकिन अब जयस अलग ही रणनीति पर चल रहा है। जयस अब अपने साथ मांझी, धनगर, बंजारा समेत अन्य जातियों को अपने साथ ला रहा है। जयस के साथ कई जातियों के संगठन जुड़ भी गए हैं। इसके लिए प्रदेश में जयस 20 अक्टूबर से समाज को जोड़ो अभियान भी चला रहा है। दरअसल उसका एजेंडा प्रदेश के हर हिस्से और वर्ग तक पहुंच बनाना है। इसी के तहत भोपाल में हाल ही में मांझी आदिवासी महासंघ के बैनर तले सम्मेलन का आयोजन किया गया।
 
2018 में जयस कांग्रेस के साथ गया। इससे कांग्रेस ने बीजेपी से आदिवासी आरक्षित 15 सीटें जीत लगी। वहीं, आदिवासी वोट से दूसरी कई सीटों पर उसे बढ़त मिली। यहीं कारण है कि बीजेपी और कांग्रेस का फोकस आदिवासी वोटरों को साधने पर है।
 

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मध्य प्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव में एक साल से भी कम का समय बचा है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दल का फोकस आदिवासी वोटरों पर है। इस बीच आदिवासी संगठन जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) संगठन सामाजिक संगठनों और छोटे दलों को एकजुट कर तीसरा विकल्प बन कांग्रेस और बीजेपी को टक्कर देने की तैयारी में जुट गया है।

जयस ने एससी और ओबीसी वर्ग की उपेक्षित जातियों को अपने साथ मिलाकर अपना दायरा बढ़ाना शुरू कर दिया है। इसमें अब ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को भी साथ लाने की तैयारी में हैं। जय आदिवासी युवा शक्ति के राष्ट्रीय संरक्षक और कांग्रेस से विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने 2023 के चुनाव में आदिवासियों के लिए आरक्षित और प्रभाव रखने वाली 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके है।

अब जयस अपने साथ अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अन्य छोटे दलों को साथ लाने की तैयारी कर रहा है। इसको लेकर भोपाल में सामाजिक परिचर्चा एवं संगोष्ठी का आयोजन भी 10 दिसंबर को किया जा रहा है। इससे पहले डॉ. अलावा ने बताया कि हमारा उद्देश्य प्रतिभाशाली युवाओं को जोड़कर सच्चे राष्ट्र भक्तों की टीम तैयार कर देश के लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करना तथा संविधान की रक्षा एवं उसका शत प्रतिशत अनुपालन करना है।

प्रदेश में आदिवासी वर्ग सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका निभाता है, लेकिन अब जयस अलग ही रणनीति पर चल रहा है। जयस अब अपने साथ मांझी, धनगर, बंजारा समेत अन्य जातियों को अपने साथ ला रहा है। जयस के साथ कई जातियों के संगठन जुड़ भी गए हैं। इसके लिए प्रदेश में जयस 20 अक्टूबर से समाज को जोड़ो अभियान भी चला रहा है। दरअसल उसका एजेंडा प्रदेश के हर हिस्से और वर्ग तक पहुंच बनाना है। इसी के तहत भोपाल में हाल ही में मांझी आदिवासी महासंघ के बैनर तले सम्मेलन का आयोजन किया गया।

 

2018 में जयस कांग्रेस के साथ गया। इससे कांग्रेस ने बीजेपी से आदिवासी आरक्षित 15 सीटें जीत लगी। वहीं, आदिवासी वोट से दूसरी कई सीटों पर उसे बढ़त मिली। यहीं कारण है कि बीजेपी और कांग्रेस का फोकस आदिवासी वोटरों को साधने पर है।

 

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