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Chhattisgarh: मेडिकल कॉलेज में NRI सीट कर दी SC को आवंटित, विवाद बढ़ा तो पीजी लिस्ट की कई रद्द

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छत्तीसगढ़ के मेडिकल कॉलेज में पीजी सीट पर एडमिशन को लेकर बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। यहां NRI सीट को SC कोटे के छात्र को आवंटित कर दी गई। हंगामा बड़ा तो चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने मंगलवार को पीजी सीट पर आवंटन रद्द कर दिया है। अब बुधवार को नए सिरे से सूची जारी होने की संभावना है। 29 छात्रों को आल इंडिया और स्टेट कोटे की सीटें आवंटित करने में भी गड़बड़ी सामने आई थी। 

कंप्यूटर प्रोग्रामरों ने गड़बड़ी की दी जानकारी
बताया जा रहा है कि, कंप्यूटर प्रोग्रामरों ने संचालक चिकित्सा शिक्षा को मापअप राउंड की त्रुटि के बारे में जानकारी दी। प्रोग्रामरों के पत्र के बाद डीएमई डॉ. विष्णु दत्त ने नए सिरे से आवंटन सूची को जारी करने को कहा है। यह आवंटन सूची सोमवार को वेबसाइट पर अपलोड की गई थी। तीन छात्रों को दो निजी मेडिकल कॉलेज में पीडियाट्रिक, आर्थोपेडिक्स और गायनी की सीटें मिली हैं। ये वास्तव में एनआरआई नहीं है। कायदे से एनआरआई की सीटें उन्हीं को आवंटित की जाएगी, जिनके माता-पिता या रिश्तेदार विदेश में रहते हैं।

छात्रों ने गड़बड़ी को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई
वहीं आल इंडिया कोटे के साथ स्टेट कोटे के मापअप राउंड की आवंटन सूची पर सोमवार से बवाल मचा हुआ है। मंगलवार को तीन छात्रों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। इस पर बुधवार को सुनवाई  है। छात्रों ने बताया कि याचिका में आल इंडिया के साथ स्टेट कोटे की आवंटन सूची जारी की गई है, जो भारी आपत्तिजनक है। इससे 29 सीटें ब्लॉक हो जाएंगी।  दूसरी ओर सोमवार को ही यूनाइटेड डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी आवंटन सूची  में गड़बड़ी को देखते हुए उसे रद्द करने की भी मांग की थी।

अफसर बोले-टाइपिंग मिस्टेक से हुई गड़बड़ी
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य सचिव आर. प्रसन्ना का कहना है कि टाइपिंग की त्रुटि से आवंटन सूची प्रभावित हुई है। इसलिए सूची को रद्द कर नए सिरे से आवंटन सूची जारी की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट और एनएमसी की गाइडलाइन के अनुसार ही काउंसिलिंग की जा रही है। 25 नवंबर तक काउंसिलिंग खत्म करनी है, नहीं तो बची सीटें लैप्स हो जाएंगी। कहा जा  है कि,  एनआरआई एसटी नो क्लास की खाली सीटों को एनआरआई एससी नो क्लास में कन्वर्ट करना था।, लेकिन ये सीटें सीधे एससी केटेगरी के छात्रों को आवंटित कर दी गईं।

सरकारी व निजी कॉलेजों के फीस में भारी अंतर
सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों में पीजी के फीस स्ट्रेक्चर को लेकर भी विवाद की स्थिति है। सरकारी मेडिकल कॉलेजों  में पीजी की सालाना फीस 20 हजार और तीन साल की फीस 60 हजार रुपए मात्र है। जबकि निजी कॉलेजों  में एक साल की फीस 10 लाख और तीन साल की फीस 30 लाख है। ज्यादातर छात्र चाहते हैं कि उनका एडमिशन सरकारी कॉलेज में हो जाए, जिससे उनकी पढ़ाई  कम खर्च में पूरी  हो जाए। सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों को 55 हजार से लेकर 60 हजार रुपए मासिक स्टायपेंड भी दिया जाता है।

विस्तार

छत्तीसगढ़ के मेडिकल कॉलेज में पीजी सीट पर एडमिशन को लेकर बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। यहां NRI सीट को SC कोटे के छात्र को आवंटित कर दी गई। हंगामा बड़ा तो चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने मंगलवार को पीजी सीट पर आवंटन रद्द कर दिया है। अब बुधवार को नए सिरे से सूची जारी होने की संभावना है। 29 छात्रों को आल इंडिया और स्टेट कोटे की सीटें आवंटित करने में भी गड़बड़ी सामने आई थी। 

कंप्यूटर प्रोग्रामरों ने गड़बड़ी की दी जानकारी

बताया जा रहा है कि, कंप्यूटर प्रोग्रामरों ने संचालक चिकित्सा शिक्षा को मापअप राउंड की त्रुटि के बारे में जानकारी दी। प्रोग्रामरों के पत्र के बाद डीएमई डॉ. विष्णु दत्त ने नए सिरे से आवंटन सूची को जारी करने को कहा है। यह आवंटन सूची सोमवार को वेबसाइट पर अपलोड की गई थी। तीन छात्रों को दो निजी मेडिकल कॉलेज में पीडियाट्रिक, आर्थोपेडिक्स और गायनी की सीटें मिली हैं। ये वास्तव में एनआरआई नहीं है। कायदे से एनआरआई की सीटें उन्हीं को आवंटित की जाएगी, जिनके माता-पिता या रिश्तेदार विदेश में रहते हैं।

छात्रों ने गड़बड़ी को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई

वहीं आल इंडिया कोटे के साथ स्टेट कोटे के मापअप राउंड की आवंटन सूची पर सोमवार से बवाल मचा हुआ है। मंगलवार को तीन छात्रों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। इस पर बुधवार को सुनवाई  है। छात्रों ने बताया कि याचिका में आल इंडिया के साथ स्टेट कोटे की आवंटन सूची जारी की गई है, जो भारी आपत्तिजनक है। इससे 29 सीटें ब्लॉक हो जाएंगी।  दूसरी ओर सोमवार को ही यूनाइटेड डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी आवंटन सूची  में गड़बड़ी को देखते हुए उसे रद्द करने की भी मांग की थी।

अफसर बोले-टाइपिंग मिस्टेक से हुई गड़बड़ी

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य सचिव आर. प्रसन्ना का कहना है कि टाइपिंग की त्रुटि से आवंटन सूची प्रभावित हुई है। इसलिए सूची को रद्द कर नए सिरे से आवंटन सूची जारी की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट और एनएमसी की गाइडलाइन के अनुसार ही काउंसिलिंग की जा रही है। 25 नवंबर तक काउंसिलिंग खत्म करनी है, नहीं तो बची सीटें लैप्स हो जाएंगी। कहा जा  है कि,  एनआरआई एसटी नो क्लास की खाली सीटों को एनआरआई एससी नो क्लास में कन्वर्ट करना था।, लेकिन ये सीटें सीधे एससी केटेगरी के छात्रों को आवंटित कर दी गईं।

सरकारी व निजी कॉलेजों के फीस में भारी अंतर

सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों में पीजी के फीस स्ट्रेक्चर को लेकर भी विवाद की स्थिति है। सरकारी मेडिकल कॉलेजों  में पीजी की सालाना फीस 20 हजार और तीन साल की फीस 60 हजार रुपए मात्र है। जबकि निजी कॉलेजों  में एक साल की फीस 10 लाख और तीन साल की फीस 30 लाख है। ज्यादातर छात्र चाहते हैं कि उनका एडमिशन सरकारी कॉलेज में हो जाए, जिससे उनकी पढ़ाई  कम खर्च में पूरी  हो जाए। सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों को 55 हजार से लेकर 60 हजार रुपए मासिक स्टायपेंड भी दिया जाता है।

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