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Dhanteras 2022: यहां 200 वर्षों से आरोग्य का आशीष दे रहे हैं धन्वंतरि देव, जड़ी-बूटियों से होता है अभिषेक

देशभर में धनतेरस के दिन आरोग्य के देव भगवान धन्वंतरि की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इस साल 22 अक्टूबर को धनतेरस का त्यौहार मनाया जाएगा। देश में धन्वंतरि देव के मंदिरों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं हैं। हालांकि कुछ शहरों में भगवान के प्राचीन मंदिर हैं। ऐसा ही एक प्राचीन मंदिर मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में है, जहां आयुर्वेद के देव होलकर राजवंश के समय से मालवा वासियों को आरोग्य का आशीष प्रदान कर रहे हैं। इस मंदिर में सालभर लोग भगवान के दर्शन करने पहुंचते हैं, लेकिन धनतेरस के दिन यहां भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ता है। दूर-दूर से वैद्य और चिकित्सक यहां भगवान के दर्शन करने आते हैं। 

आड़ा बाजार में स्थित है मंदिर 

धन्वंतरि देव का यह प्राचीन मंदिर इंदौर के आड़ा बाजार में स्थित है। मंदिर की स्थापना के संबंध में जानकारों का कहना है कि होलकर स्टेट के राजवैद्य दिवंगत लक्ष्मीनारायरण त्रिवेदी ने इस मंदिर की स्थापना की थी। मंदिर से जुड़े पं. मानवेंद्र कुमार त्रिवेदी ने बताया कि होलकर राजा स्टेट के लोगों के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित रहते थे, जिसके चलते उन्होंने राजवैद्य को धन्वंतरि देव की प्रतिमा स्थापित करने के लिए कहा था। उसी समय इस मंदिर की स्थापना की गई थी। होलकर राजवंश के शासन में भी धनतेरस पर स्टेट और आस-पास के वैद्य यहां आकर जड़ी-बूटियां सिद्ध करते थे। खुद होलकर शासक भी जब मंदिर के सामने से गुजरते थे तो यहां दर्शन कर के ही आगे जाते थे। इंदौर के धन्वंतरि मंदिर की गिनती देश के नौ प्रमुख धन्वंतरि मंदिरों में भी होती है। 

 

जयपुर के संगमरमर से बनी है प्रतिमा

मंदिर में स्थापित भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा करीब तीन फीट ऊंची है। प्रतिमा का निर्माण खासतौर से जयपुर से बुलाए गए सफेद संगमरमर से किया गया है। प्रतिमा में भगवान धन्वंतरि आशीर्वाद की मुद्रा में खड़े हैं।

धनतेरस पूजन

इस मंदिर में धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि का जड़ी बूटियों से अभिषेक किया जाता है। दूर-दूर से लोग मंदिर में इस दिन भगवान से आरोग्य का आशीष लेने के लिए आते हैं। बताया जाता है कि कई वैद्य आज भी मंदिर में भगवान के चरणों में जड़ी बूटियों को सिद्ध करने के लिए रखते हैं, तो वहीं एलोपैथी के डॉक्टर्स भी मंदिर में भगवान के दर्शन करने पहुंचते हैं। कहा जाता है कि मंदिर में आने वाले भक्तों को असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है।

 

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