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छत्तीसगढ़ में क्यों हो रही है गोबर के पेंट की तारीफ? भूपेश बघेल की इस योजना के मुरीद हो गए हैं केन्द्रीय मंत्री

रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने एक अनूठी पहल करते हुए राज्य के सरकारी भवनों, स्कूलों और छात्रावासों में गाय के गोबर से बने जैविक पेंट का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि गाय के गोबर से पेंट बनाने की इकाई राज्य के रायपुर और कांकेर जिले के गौठानों में स्थापित की गई है। अगले वर्ष जनवरी के अंत तक सभी जिलों में इसका विस्तार किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि प्राकृतिक पेंट के इस्तेमाल से न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। उन्होंने बताया कि गौठानों में इसके निर्माण से स्थानीय महिलाएं जुड़ी हुई हैं।

राज्य सरकार ने राज्य में दो वर्ष पहले गोधन न्याय योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत आठ हजार से अधिक गौठान स्थापित किए गए हैं। इन गौठानों में पशुपालकों और किसानों से दो रुपये प्रति किलो के हिसाब से गोबर और चार रुपए प्रति लीटर के हिसाब से गोमूत्र खरीदा जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि गौठान समितियों और स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को वर्मी-कम्पोस्ट, अगरबत्ती, दीपक, रंगोली पाउडर, दोना-पत्तल आदि कई उत्पादों के निर्माण के लिए सुविधा प्रदान की गयी है।

गाय के गोबर से बदल रही दिशा
उन्होंने बताया कि इस वर्ष के शुरुआत में राज्य सरकार ने गाय के गोबर से पेंट बनाने के लिए के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था। वहीं गाय के गोबर से बिजली उत्पादन की तकनीकी सहायता के लिए भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के साथ समझौता किया गया था। गोधन न्याय योजना के संयुक्त निदेशक आरएल खरे ने बताया कि रायपुर जिले के हीरापुर जरवाय गांव और कांकेर जिले के सरधू नवागांव गांव स्थित गौठानों में प्राकृतिक पेंट का निर्माण शुरू किया गया है।

खरे ने बताया कि अगले वर्ष जनवरी माह के अंत तक राज्य के सभी जिलों में ऐसी 73 और इकाइयां शुरू की जाएंगी। उन्होंने बताया कि राज्य के बेमेतरा, दुर्ग और रायपुर जिले के तीन गौठानों में गोबर से बिजली बनाने की इकाई शुरू की गई है। खरे ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर राज्य के कृषि विभाग ने सभी जिला कलेक्टरों और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) को गौठानों में पेंट निर्माण इकाइयों की स्थापना की प्रक्रिया में तेजी लाने और सभी सरकारी भवनों की पेंटिंग रासायनिक पेंट की जगह गोबर से बने पेंट का उपयोग करने का निर्देश दिया है।

अधिकारी ने बताया कि कार्बोक्सिमिथाइल सेल्युलोज़ गाय के गोबर से निर्मित प्राकृतिक पेंट का मुख्य घटक है। उन्होंने बताया कि एक सौ किलो गोबर से करीब 10 किलो सूखा सेल्युलोज तैयार किया जाता है। खरे ने बताया, ”यह पेंट एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल, नॉन-टॉक्सिक, इको-फ्रेंडली और गंध-मुक्त होता है। गाय के गोबर से निर्मित होने वाले पेंट के दो प्रकार की कीमत क्रमशः 120 रुपए प्रति लीटर और 225 रुपए प्रति लीटर है।” उन्होंने बताया कि प्रत्येक लीटर से 130 से 139 रुपए और 55 रुपए से 64 रुपये तक का लाभ प्राप्त होगा।

महिलाओं को जोड़ा जा रहा है
खरे ने बताया कि रायपुर के बाहरी इलाके हीरापुर जरवाय गांव में स्थापित इकाई में 22 महिलाओं को जोड़ा गया है और इस वर्ष जून में वहां उत्पादन शुरू किया गया था। उन्होंने बताया कि रायपुर के पशु चिकित्सालयों सहित सरकारी भवनों की पेंटिंग में गाय के गोबर से बने पेंट का इस्तेमाल किया गया था। कांकेर जिले के चारामा जनपद पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जीएस बढ़ई ने कहा कि कांकेर में पहली बार स्कूलों और छात्रावासों को इस प्राकृतिक पेंट से रंगा गया है। बढ़ई ने बताया कि सरधू नवागांव गौठान में मुख्यमंत्री ने दो अक्टूबर को निर्माण इकाई का उद्घाटन किया था, यहां एक दिन में पांच सौ लीटर पेंट बनाने की क्षमता है।

लेकिन अभी मांग को देखते हुए कम मात्रा में पेंट का निर्माण किया जा रहा है। अब तक एक हजार लीटर पेंट का निर्माण किया जा चुका है, जिसमें से पिछले एक सप्ताह में 120 लीटर की बिक्री हुई है। उन्होंने बताया कि जिले कोडतरा गांव के आदिवासी छात्रावासों, वडगांव के सरकारी स्कूल तथा चावड़ी, भिलाई और आवड़ी गांवों के पंचायत भवनों को पेंट करने में इस पेंट का इस्तेमाल किया गया है।
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नितिन गड़करी ने की थी तारीफ
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में राज्य सरकार की पहल की सराहना करते हुए ट्वीट किया था, ”छत्तीसगढ़ के सरकारी विभागीय निर्माणों में गोबर से बने प्राकृतिक पेंट के इस्तेमाल का आग्रह करते हुए अधिकारियों को निर्देश देने के लिए मैं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी का अभिनंदन करता हूं। उनका यह निर्णय सराहनीय और स्वागत योग्य है।” गडकरी ने लिखा है, ”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में एमएसएमई मंत्री रहते हमने इसकी शुरुआत की थी। प्राकृतिक पेंट का उपयोग न केवल पर्यावरण की रक्षा करेगा बल्कि किसानों को रोजगार का एक नया अवसर भी प्रदान करेगा, जिससे देश के किसानों को लाभ होगा।”

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