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MP के शराब कारोबारियों से 7.44 करोड़ जब्त: ईडी ने 16 घंटे पूछताछ की, करोड़ों की संपत्ति के दस्तावेज जब्त, लॉकर भी फ्रीज किए

7.44 crores seized from liquor traders of MP: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को इंदौर, भोपाल और मंदसौर में शराब ठेकेदारों के 13 ठिकानों पर छापेमारी की। कार्रवाई के दौरान 7.44 करोड़ रुपये जब्त किए गए हैं। बैंक खातों और बैंक लॉकरों में जमा 71 लाख रुपये भी फ्रीज किए गए हैं। ईडी सूत्रों के मुताबिक टीम ने शराब कारोबारियों से करीब 16 घंटे पूछताछ की। ईडी ने कितने बैंक लॉकर फ्रीज किए हैं, इसकी जानकारी अभी नहीं मिल पाई है।

तलाशी के दौरान ईडी ने कई आपत्तिजनक दस्तावेज और करोड़ों रुपये की अचल संपत्ति से जुड़े दस्तावेज भी जब्त किए हैं। बता दें, फर्जी चालान आबकारी घोटाले को लेकर ईडी ने सोमवार को तलाशी ली थी। इस दौरान ईडी ने अचल संपत्ति से जुड़े दस्तावेज भी जब्त किए हैं। ईडी सूत्रों की मानें तो ये दस्तावेज करोड़ों रुपये की अचल संपत्ति के हो सकते हैं। इस मामले में जांच जारी है। भविष्य में आरोपियों की गिरफ्तारी की भी संभावना है।

शराब ठेकेदारों पर इंदौर में केस हैं दर्ज

ईडी ने सोमवार को शराब ठेकेदारों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत इंदौर के रावजी बाजार पुलिस स्टेशन में दर्ज एक एफआईआर के आधार पर छापा मारा था। इसमें ट्रेजरी चालान में जालसाजी और हेराफेरी के जरिए 49.42 करोड़ रुपए (लगभग) के सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने और वित्तीय वर्ष 2015-16 से वित्तीय वर्ष 2017-18 की अवधि के दौरान शराब के अधिग्रहण के लिए अवैध रूप से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने का आरोप लगाया गया था।

एनओसी के लिए ऐसे करते थे फर्जीवाड़ा

ईडी अधिकारियों ने बताया कि ईडी की जांच में पता चला कि आरोपी शराब ठेकेदार छोटी-छोटी रकम के चालान तैयार कर बैंक में जमा कर देते थे। चालान के निर्धारित प्रारूप में “रुपए अंकों में” और “रुपए शब्दों में” लिखा होता था। मूल्य अंकों में भरा जाता था, लेकिन “रुपए शब्दों में” के बाद रिक्त स्थान छोड़ दिया जाता था। राशि जमा करने के बाद जमाकर्ता बाद में उक्त रिक्त स्थान में बढ़ी हुई राशि को लाख हजार के रूप में लिख देता था। ऐसी बढ़ी हुई राशि के तथाकथित चालान की प्रतियां संबंधित देसी मदिरा गोदाम में या विदेशी मदिरा के मामले में जिला आबकारी कार्यालय में प्रस्तुत कर मदिरा शुल्क/मूल लाइसेंस शुल्क/न्यूनतम गारंटी के लिए राशि जमा कर मदिरा आपूर्ति की मांग के विरुद्ध एनओसी प्राप्त कर ली जाती थी।

कैसे हुआ घोटाला?

ईडी ने वर्ष 2015 से 2018 तक 194 फर्जी चालान के जरिए घोटाले की शिकायत मिलने के बाद वर्ष 2024 में जांच शुरू की थी। जांच के लिए ईडी ने आबकारी विभाग व पुलिस से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मांगे थे। इसमें शराब ठेकेदारों के बैंक खातों का ब्योरा व विभाग की आंतरिक जांच रिपोर्ट शामिल थी। यह घोटाला सबसे पहले वर्ष 2018 में प्रकाश में आया था। आरोप है कि शराब कारोबारियों ने आबकारी विभाग के अफसरों से मिलीभगत कर करोड़ों का घोटाला किया। माना जा रहा है कि घोटाले की रकम 100 करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है।

ईडी ने 2024 में आबकारी विभाग से जानकारी मांगी थी

इस मामले में इंदौर के रावजी बाजार थाने में एफआईआर 172/2017 दर्ज की गई थी। ईडी ने आबकारी विभाग द्वारा की गई आंतरिक जांच के आधार पर दर्ज एफआईआर के संबंध में जानकारी उपलब्ध कराने की व्यवस्था करने का अनुरोध किया है। इस पत्र में लिखा है कि शराब ठेकेदारों से वसूली गई रकम का ब्यौरा, यदि कोई हो तो उपलब्ध कराएं। इसके अलावा शराब ठेकेदारों के बैंक खाते का ब्यौरा उपलब्ध कराने और जांच की वर्तमान स्थिति की जानकारी देने को भी कहा गया है, जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज की गई। इसके अलावा आबकारी विभाग के अफसरों के खिलाफ यदि कोई जांच की गई है तो उसकी आंतरिक जांच रिपोर्ट भी उपलब्ध कराने को कहा गया है।

11 ऑडिटरों ने की थी चालान की जांच

शराब घोटाले की जांच में 11 ऑडिटरों ने प्रत्येक चालान की जांच की थी। घोटाले से पहले तीन सालों में इंदौर की शराब दुकानें 2015 में 556 करोड़, 2016 में 609 करोड़ और 2017 में 683 करोड़ में नीलाम हुई थीं। इस तरह 1700 करोड़ के शराब चालान की जांच की गई, लेकिन नतीजा शून्य रहा।

इन लोगों को बनाया गया आरोपी

शराब ठेकेदार एमजी रोड ग्रुप के अविनाश और विजय श्रीवास्तव, जीपीओ चौराहा ग्रुप के राकेश जायसवाल, टॉप खाना ग्रुप के योगेंद्र जायसवाल, बायपास चौराहा देवगुराड़िया ग्रुप के राहुल चौकसे, गवली पलासिया ग्रुप के सूर्यप्रकाश अरोरा, गोपाल शिवहरे, लवकुश और प्रदीप जायसवाल।

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