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MP Foundation Day: मध्यप्रदेश का 69वां स्थापना दिवस, जानें कैसे बना ‘भारत का दिल’ एमपी

69th Foundation Day of Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश स्थापना दिवस का जश्न एक नवंबर को पूरे प्रदेश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह स्थापना दिवस मध्य प्रदेश के इतिहास को याद करने और इसके गौरव को बढ़ाने का मौका है। 1956 में इस राज्य के गठन की पृष्ठभूमि और भोपाल को राजधानी बनाने की कहानी बेहद दिलचस्प है। आइए जानते हैं कैसे बना यह राज्य और क्यों भोपाल को राजधानी चुना गया।

भारतीय राज्यों के पुनर्गठन के दौरान 1956 में मध्य प्रदेश की स्थापना एक नए राज्य के रूप में हुई थी। इस पुनर्गठन के दौरान भोपाल, मध्य भारत, विंध्य प्रदेश, मध्य प्रांत (सीपी) और बरार को मिलाकर एक बड़ा राज्य बनाया गया, जिसका नाम मध्य प्रदेश रखा गया।

देश के मध्य में स्थित होने के कारण इसे ‘भारत का हृदय’ भी कहा जाता है। 1950 से पहले इन क्षेत्रों में अलग-अलग विधानसभाएं और प्रशासनिक व्यवस्थाएं थीं विंध्य प्रदेश और मध्य भारत के कुछ हिस्सों को मिलाकर एकीकृत राज्य का सपना साकार हुआ।

मध्य प्रदेश की राजधानी को लेकर इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और भोपाल के बीच लंबी चर्चा हुई। राज्य पुनर्गठन आयोग ने सभी विकल्पों पर विचार करते हुए पाया कि भोपाल में पहले से ही प्रशासनिक कार्यालयों के लिए पर्याप्त भवन और सुविधाएं मौजूद हैं।

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इसके अलावा भोपाल की भौगोलिक स्थिति भी राज्य चलाने के लिए उपयुक्त थी। साथ ही भोपाल के नवाब भारत में विलय के लिए तैयार थे। ऐसे में उन पर नियंत्रण रखने के लिए इसे राजधानी बनाने का फैसला किया गया। आखिरकार 1956 में भोपाल को आधिकारिक तौर पर मध्य प्रदेश की राजधानी घोषित किया गया।

पंडित रविशंकर शुक्ल मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने और डॉ. बी पट्टाभि सीतारमैया राज्यपाल बने। 1 नवंबर 2000 को इससे अलग होकर छत्तीसगढ़ नया राज्य बना। राज्य की सीमा से उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान जुड़े हुए हैं।

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इस साल मध्य प्रदेश स्थापना दिवस के अवसर पर कई सांस्कृतिक और पारंपरिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जो राज्य के गौरवशाली इतिहास और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराएंगे। स्थापना दिवस पर पूरे प्रदेश में रैलियों, झांकियों और विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से मध्य प्रदेश के योगदान और विकास को प्रस्तुत किया जाएगा।

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