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6 Students Committed Suicide: 17 दिन में 6 स्टूडेंट्स ने Kota में की आत्महत्या, इनमें JEE और NEET की कर रहे थे तैयारी, पढ़िए डिटेल्स

6 Students Committed Suicide Update: वर्ष 2025 के मात्र 22 दिन बीते हैं और छात्रों का हब कहे जाने वाले कोटा में 6 बच्चों ने आत्महत्या कर ली है। इनमें से 5 छात्र कोटा में रहकर जेईई की तैयारी कर रहे थे। वहीं, एक छात्रा यहां नीट की तैयारी करने आई थी।

पंखे से लटका, एंटी हैंगिंग डिवाइस फेल

6 Students Committed Suicide Update: आत्महत्या के इन सभी 6 मामलों में फांसी लगाकर आत्महत्या की गई है। इनमें 19 वर्षीय नीरज जाट ने जिस पंखे से लटककर खुदकुशी की, उसमें भी एंटी हैंगिंग डिवाइस लगी हुई थी, लेकिन फिर भी नीरज की जान नहीं बच सकी। पुलिस का कहना है कि ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि नीरज ने पंखे के हुक से लटककर खुदकुशी की।

6 Students Committed Suicide Update:  अपनी दादी के घर पर फांसी लगाने वाले मनन जैन ने खिड़की के एंगल से लटककर खुदकुशी की। इसलिए इसमें एंटी हैंगिंग डिवाइस का कोई मतलब नहीं था। बाकी सभी आत्महत्याएं पंखे से लटककर की गईं, जहां एंटी हैंगिंग डिवाइस नहीं थी।

  • 7 जनवरी 9 साल के नीरज जाट ने हॉस्टल के कमरे में पंखे के कुंदे से फांसी लगा ली थी।
  • वो हरियाणा के महेंद्रगढ़ का रहने वाला था और दो साल से कोटा में JEE की तैयारी कर रहा था।
  • 8 जनवरी 20 साल के अभिषेक ने कोटा के विज्ञान नगर में अपने PG रूम के पंखे से फांसी लगा ली। वो MP के गुना का रहने वाला था और कोटा में JEE एडवांस की तैयारी कर रहा था।
  • 16 जनवरी 18 साल के अभिजीत गिरी ने पंखे से फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया। वो ओडिशा का रहने वाला था और कोटा में JEE की तैयारी कर रहा था।
  • 17 जनवरी 17 साल के मनन जैन ने खिड़की के एंगल से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। राजस्थान के बूंदी जिले का रहने वाला था और कोटा में अपनी नानी के घर में रहकर JEE की तैयारी कर रहा था।
  • 22 जनवरी 3 साल की अफ्शा शेख ने पंखे से फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। वो गुजरात के अहमदाबाद की रहने वाली थी और कोटा में NEET की तैयारी कर रही था।
  • 18 साल के पराग ने पंखे से फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया। वो असम का रहने वाला था और कोटा में JEE की तैयारी करने के लिए आया था।

2024 में 17, 2023 में 26 छात्र आत्महत्या करेंगे

पिछले सालों की बात करें तो साल 2024 में कोटा में रहने वाले 17 छात्रों ने आत्महत्या की है। पिछले साल जनवरी महीने में 2 और फरवरी महीने में 3 छात्रों ने आत्महत्या की थी। वहीं, साल 2023 में कोटा में छात्रों की आत्महत्या के कुल 26 मामले सामने आए।

लेकिन इस साल के आंकड़ों पर गौर करें तो चौंकाने वाले हैं। साल शुरू होते ही एक के बाद एक छात्र आत्महत्या क्यों कर रहे हैं? क्या इसका कारण परीक्षा का डर हो सकता है?

‘बच्चों को असफलता को हैंडल करना नहीं सिखाया जाता’

एमपी सुसाइड प्रिवेंशन टास्क फोर्स के सदस्य और मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी ने कोटा में हो रही छात्र आत्महत्याओं के बारे में कहा, ‘किसी भी आत्महत्या का कोई एक कारण नहीं होता।

सभी बच्चे एक ही परीक्षा दे रहे हैं। ऐसे में आत्महत्या के लिए मिले-जुले कारण जिम्मेदार हैं। इसमें आनुवंशिकी, सामाजिक कारण, साथियों का दबाव, अभिभावकों की अपेक्षाएं, शिक्षा प्रणाली, सब कुछ शामिल है।

डॉ. त्रिवेदी कहते हैं कि कहीं न कहीं हम बच्चों को तनाव, अस्वीकृति या असफलता से निपटना नहीं सिखा पाते। आज बच्चा यह मानने लगा है कि उसकी शैक्षणिक उपलब्धि उसके अस्तित्व से बड़ी है।

बच्चा तैयारी छोड़ने को तैयार नहीं है, वह जीवन छोड़ने को तैयार है। समाज ने प्रतियोगी परीक्षाओं को बहुत महिमामंडित किया है, जिसके कारण बच्चे को लगता है कि वह तभी पूर्ण होगा जब वह परीक्षा पास कर लेगा।

14-16 लाख छात्र परीक्षा दे रहे हैं, लेकिन सीटें कुछ हजार ही हैं। ऐसे में सभी जानते हैं कि चयनित न होने वाले बच्चों की संख्या अधिक होगी। लेकिन कोई भी बच्चों को असफलता से निपटने के लिए तैयार नहीं करता। बाल सभा में प्रेरक व्याख्यान देने, काउंसलर नियुक्त करने, फिल्म दिखाने से कुछ नहीं होगा। पूरी व्यवस्था पर काम करना होगा।

कॉपीकैट इफेक्ट के कारण आत्महत्याएं बढ़ीं

डॉ. त्रिवेदी ने यह भी कहा कि लगातार आत्महत्याओं के पीछे एक कारण बर्थर इफेक्ट भी है। इसका मतलब है कॉपीकैट आत्महत्या। इसमें किसी खास कारण से किसी की आत्महत्या को महिमामंडित किया जाता है। उसी कारण से पीड़ित दूसरे लोग भी प्रभावित होकर आत्महत्या कर सकते हैं।

उनका कहना है कि यही वजह है कि आत्महत्या को बहुत संवेदनशीलता के साथ प्रचारित किया जाना चाहिए। जैसे हम हेडिंग में लिखते हैं- वो रोता रहा, किसी ने नहीं सुनी, पढ़ाई के दबाव में बच्चे ने जान दे दी…

इसमें हमने बच्चे को पीछे और पढ़ाई के दबाव को आगे रख दिया है। ऐसे में पढ़ाई के दबाव से पीड़ित बच्चे को लगेगा कि वाह, ये तो अच्छी सुरक्षा है। इससे बच्चे के मन में आत्महत्या का विचार आ सकता है।

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