शिवराज के इंस्टाग्राम पर 40 मिनट: पहले बेटियों ने मामा बोला, फिर बेटों ने, अब तो बुजुर्ग भी मामा बोलते हैं


शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री
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विस्तार
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनावी साल में हर वर्ग और हर तबके से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं। यही कारण है कि शुक्रवार को सुबह उन्होंने इंस्टाग्राम पर युवाओं से सीधी बातचीत की। उन्हें बताया कि मामा कैसे कहलाएं। उन्होंने कहा कि लाड़ली लक्ष्मी योजना की वजह से बेटियों ने मामा बोलना शुरू किया। फिर बेटे भी बोलने लगे। अब तो स्थिति यह है कि बुजुर्ग भी मामा कहकर संबोधित करते हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का इंस्टाग्राम पर यूथ से रूबरू होने का यह पहला मौका था। उन्होंने इस दौरान रुक जाना नहीं और ऐ भाई जरा देख के चलो… जैसे गाने भी गुनगुनाए। खास बात यह है कि रुक जाना नहीं योजना भी मध्यप्रदेश में संचालित हो रही है, जो परीक्षाओं में असफल छात्राओं को आगे बढ़ने में मदद करती है। इतना ही नहीं, एक युवा ने उनसे कहा कि मुझे एक दिन का मुख्यमंत्री बना दीजिए, इस पर शिवराज बोले कि वह (नायक) एक फिल्म थी। हमें सीखना चाहिए कि एक दिन में कैसे अंतर ला सकते हैं। हालांकि, फिल्म और हकीकत में जमीन-आसमान का अंतर होता है। मुख्यमंत्री एक दिन का क्यों, परमानेंट बनने का मौका है। राजनीति में आओ, मेहनत करो। एक दिन जरूर कामयाबी मिलेगी।
मोदी को बताया रोल मॉडल
एक युवा ने मुख्यमंत्री से पूछा कि उनके रोल मॉडल कौन हैं? इस पर शिवराज बोले कि गीताजी और स्वामी विवेकानंद से उन्हें प्रेरणा मिलती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वे रोल मॉडल मानते हैं। मोदी ने समृद्ध और शक्तिशाली भारत के निर्माण में अपने आपको झोंक दिया। भारत का यह प्रगति और प्रतिष्ठा का स्वर्णिम काल है। आज भारत आंख झुकाकर नहीं, आंख मिलाकर काम करता है। कोविड की आपदा को हमने अवसर में बदला। जब मोदी जी पूरे देश को आत्मनिर्भर बनाने में जुटे हैं तो हम आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश क्यों नहीं बना सकते। हम इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित कर रहे हैं। हेल्थ और एजुकेशन में भी बेहतर काम कर रहे हैं।
बछिया को रोटी खिलाकर निकलते हैं
दिनचर्या से जुड़े सवाल पर शिवराज ने कहा कि मैं चाहे कितनी ही देर से सोऊं, लेकिन जल्दी उठता हूं। योग-प्राणायाम करता हूं। घर से निकलने से पहले गाय की बछिया को दो रोटी खिलाता हूं। फिर पौधा लगाता हूं। इसके बाद बाकी काम करता हूं। युवाओं को भी दिन की शुरुआत पौधरोपण से करना चाहिए। जन्मदिन-एनिवर्सरी पर एक पौधा जरूर लगाएं।
रोचक सवाल
बच्चियों को लाड़ली बनाने परः
मां- बहन और बेटी को जहां मान-सम्मान की नजर से देखते हैं, वहां भगवान रहते हैं। मैं कन्यापूजन से कार्यक्रम शुरू करता हूं। लाड़ली बहना योजना महिला सशक्तिकरण का अभियान है। पैसा रहेगा तो बच्चों की अच्छी परवरिश करेगी। हर महीने एक हजार रुपये अकाउंट में डालेंगे।
मामा बनने के सफर परः लाड़ली लक्ष्मी योजना से इसकी शुरुआत हुई। बेटी को लखपति बनाने की योजना बनाई। बेटियों ने पहले मामा कहा। फिर बेटे भी कहने लगे। अब तो उम्र में बड़े भी मामा कहते हैं।
फेवरेट फिल्म, गाने के सवाल परः बचपन में परिचय फिल्म देखी थी। एक्टर संजीव कुमार मेरे फेवरेट एक्टर हैं। एक्ट्रेस जया भादुड़ी हैं। वे अपने भोपाल की बेटी ही हैं। मेरे तीन गानें फेवरेट हैं। ‘लागा चूनरी में दाग’, ‘रुक जाना नहीं तू कहीं हार के’ और ‘ऐ भाई जरा देख के चलो’।
कुर्ता-पायजामा घर में भी पहनते हैं: नहीं, जब घर से बाहर जाता हूं तभी कुर्ता-पायजामा पहनता हूं। घर में तो बेटे कार्तिक और कुनाल की तरह ही पेंट-शर्ट, टी-शर्ट भी पहनता हूं।
बचपन के बारे में: मेरा गांव नर्मदा किनारे था। बचपन में खेत में बैठता था। कई बार पूजा करता था। सोचता था कि भगवान आ जाएं और मुझे गोद में बैठा लें। शरारतें भी खूब की।