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Chhatarpur: किसी ने दुकान तो कोई खेत में कर बैठा इश्क, जानें प्यार की इबारत लिखने वाले इन 20 जोड़ों की कहानी

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छतरपुर जिले के महाराजपुर नगर के जवाहरलाल नेहरू खेल मैदान में 20 नवंबर को चौरसिया समाज का सामूहिक परिचय और विवाह सम्मेलन आयोजित किया गया। यहां शनिवार को विवाह योग्य युवक-युवतियों के बीच परिचय हुआ। वहीं रविवार को इस आयोजन में 20 जोड़े विवाह के बंधन में बंधे।

बता दें कि इस विवाह समारोह में अलग बात यह रही कि 20 जोड़ों में से चार ने अंतरजातीय विवाह रचाया है, जिनमें वर चौरसिया और वधु अन्य जाती और समुदाय से ताल्लुक रखती हैं, जिनके परिवारों की सहमति से यह विवाह संपन्न हुए हैं। विवाह की सारी रस्में हिन्दू और वैदिक रीति-रिवाज से आचार्य विद्यासागर की ओर से अग्नि को साक्षी मानकर परिणय सूत्र पूरी की गई।

अंतरजातीय विवाह के यह रहे जोड़े…

  • 1: दीपेंद्र चौरसिया महाराजपुर का विवाह शर्मिला कुमरे से
  • 2: मोहित चौरसिया बुलंदशहर का विवाह दिल्ली की गौरी हलधर से
  • 3: लोकेश चौरसिया लवकुशनगर का विवाह रीता कुशवाहा लवकुशनगर से
  • 4: नरेंद्र कुमार चौरसिया बवेरू बांदा का विवाह वंदना भांवरे भरतकूप चित्रकूट से
  • 5: दिव्यांग जयप्रकाश चौरसिया महाराजपुर का विवाह 28 साल की गीता चौरसिया महाराजपुर के साथ संपन्न हुआ
केंद्रीय मंत्री और विधायक की मौजूदगी में हुए विवाह…
20 वैवाहिक आयोजनों में चार अन्तरजातीय विवाहों की साक्षी केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल और क्षेत्रीय विधायक नीरज दीक्षित रहे। इन विवाहों के साक्षी बनने उन्होंने मंच से वैवाहिक जोड़ों की वरमाला कराई और आशीर्वाद भी दिया। 20 जोड़ों में से एक दिव्यांग की शादी हुई, जिसमें 31 साल के जयप्रकाश चौरसिया महाराजपुर का विवाह 28 साल की गीता चौरसिया महाराजपुर के साथ हुआ, जिसमें जयप्रकाश पैरों से दिव्यांग हैं, वहीं गीता एकदम फिट हैं।

एक विवाह ऐसा भी…
यहां चार अंतरजातीय विवाह में एक जोड़ा ऐसा था, जो कि पिछले दो साल से लिव-इन में रह रहा था। इनके परिवार वालों ने इसे सामाजिक वैध करार देने के लिए इनका सम्मेलन में विवाह कराया। यहां उन्होंने रीति-रिवाज और मंत्रोच्चारण के बीच विवाह संपन्न कराया और पारिवारिक सामाजिक मान्यता प्राप्त की।

साल 2018 से लिव-इन पार्टनर की शादी…
दो साल लिव-इन में रहने के बाद ब्याह रचाने वाले महाराजपुर के 26 साल के दीपेंद्र और बैतूल की 24 साल की शर्मिला बताते हैं कि उनकी मुलाक़ात साल 2018 में सीहोर जिले के बुधनी में (Trydent) कंपनी में जॉब करने के दौरान हुई थी। तब से ही उन्हें एक-दूसरे से प्यार हुआ। पहले यह मुलाकात दोस्ती की रही, फिर धीरे-धीरे प्यार में बदल गई और यह प्यार इतना परवान चढ़ा कि दोनों ने एक-दूसरे का जीवन भर साथ देने और एक साथ जीने मारने की कसमें खा लीं।

इस दौरान अपने प्यार के बारे में दोनों ने अपने परिजनों और परिवार को बताया, जिसे जानकर पहले तो वे अवाक रह गए और राजी नहीं हुए। जब दोनों ने अलग न होने की बात कही तो दीपेंद्र के परिजन तो मान गए पर शर्मिला के परिजन नहीं माने तो शर्मिला ने अपने परिजनों से कह दिया कि मैं तो शादी करने जा रही हूं आप लोग आना चाहो तो आ जाओ पर वे नहीं आए। दीपेंद्र के परिवार ने ही वधु पक्ष की ओर से रस्में अदा करने का फैसला लिया और दूल्हे दीपेंद्र के बारीगढ़ वाले मामा-मामी सुनील-रागिनी चौरसिया ने कन्यादान सहित सारी रस्म अदायगी की और बेटी बनाकर माता-पिता का फर्ज निभाने की बात कही है।

अब लिव-इन में नहीं, पति-पत्नी बनकर रहेंगे…
दीपेंद्र और शर्मिला दोनों शादी के बाद की रस्म अदायगी और परिवार के साथ वक्त गुजारने के बाद वापस कंपनी में जॉब करने निकल जाएंगे। जहां पहले वह लिव-इन में रह रहे थे, अब पति-पत्नी की तरह रहेंगे और फैमिली प्लानिंग के बारे में सोचेंगे। दरअसल, अब तक वह इसके लिए प्रॉपर तैयार नहीं थे।

10 साल पहले खेत जाते समय हुई मुलाकात और दोस्ती फिर प्यार अब शादी…
लवकुशनगर के लोकेश चौरसिया का लवकुशनगर के गुढ़ा गांव की रीना कुशवाहा से पिछले 10 साल से अफेयर था। लोकेश और रीना बताते हैं कि दोनों की मुलाकात अपने-अपने खेत जाते समय हुई थी। दरअसल, लोकेश का खेत रीना के गांव गुढ़ा के पास है, जहां 10 साल पहले जब लोकेश खेत जा रहा था, उसी दौरान रीना भी अपने खेत जा रही थी। रास्ते में मुलाकात हुई और यह मुलाकात पहले दोस्ती में बदली, फिर प्यार में बदल गई। जहां अब उनकी शादी हो गई है।

10 साल से अफेयर, नहीं की कोर्ट मैरिज…
10 साल से चल रहे प्यार के बाद कोरोना कॉल खत्म होने पर उन्होंने अपने परिवार को बताया, जिसे जानकर वे हैरान रह गए और अन्तरजातीय विवाह को तैयार नहीं हुए। उनके रिश्ते को मानने से मना कर दिया, जिसके लिए उन्होंने परिवार वालों से कहा कि अगर हम चाहते तो अब तक घर से भागकर या चुपचाप कोर्ट मैरिज कर लेते। लेकिन हम आप लोगों (दोनों परिवार) की सहमति के बिना ब्याह करना नहीं चाहते थे। इसलिए अब तक ऐसा नहीं किया, अब जब आप लोगों (दोनों परिवारों) की सहमति होगी, तब ही शादी करेंगे। वरना दोनों कहीं और शादी नहीं करेंगे, ऐसे ही रहेंगे।

दो साल लग गए मनाने में…
लोकेश-रीना बताते हैं कि उन्हें अपने परिवारों को मनाने में दो साल लग गए, तब कहीं जाकर माने। अब दोनों परिवारों की सहमति से समाज के बैनर/मंडप में ब्याह किए, जो दोनों परिवारों की सहमति से सम्पन्न हुआ है।

दोनों परिवार की सहमति से हुआ अन्तरजातीय विवाह…
महाराजपुर के मोहित चौरसिया और दिल्ली उत्तर-पश्चिम की गौरी हलधर की मुलाकात तीन साल पहले नोएडा की एक कंपनी में जॉब करने के दौरान हुई। जहां दोनों ने पहले एक-दूसरे को जाना, फिर दोस्ती और प्यार हुआ। अपने बारे में दोनों ने अपने परिजनों/परिवार को बताया तो आपसी सहमति के बाद दोनों के परिजन और परिवार तैयार हो गए। जहां अब दोनों ने चौरसिया समाज के सामूहिक विवाह सम्मेलन में शादी की। इस दौरान दोनों के परिवार शामिल रहे। वहीं अब गौरी का कहना है कि वह अपना सरनेम बदलेगी और आगे से गौरी चौरसिया लिखेगी।

पान की दुकान पर मुलाकात शादी में बदली…
बांदा बबेरू के नरेंद्र चौरसिया और चित्रकूट भरतपुर की वंदना भांवरे की मुलाकात भी कुछ यूं ही बाजार में हुई। नरेंद्र पान बेचने की दुकानदारी करता है। जहां वंदना नरेंद्र की दुकान पर पान खरीदने आई और यह मुलाकात उन्हें शादी के इस पड़ाव तक ले आई, जहां अब दोनों परिवारों की सहमति से सम्मलेन में शादी की गई।

मामला चाहे जो भी हो, पर इतना तो तय है कि महाराजपुर में हुए चौरसिया समाज के सामूहिक विवाह सम्मेलन में एक नई इबारत लिखी गई है, जिसने इन शादियों को एक नया आयाम दिया है, जिसके साथ ही एक मैसेज भी प्ले हुआ है कि अगर हमें प्यार हुआ है और वह भी अन्तरजातीय है तो परिवार के साथ मिल बैठकर बात करें। आपसी सहमति से रिश्ता आगे बढ़ाएं और कोई गलत कदम न उठाकर अपने और अपनों को ठेश न पहुंचाएं। आपसी पारिवारिक सहमति से रिश्ते कायम करते हुए उन्हें परस्पर सम्मान और ऊंचाईयां दें।

विस्तार

छतरपुर जिले के महाराजपुर नगर के जवाहरलाल नेहरू खेल मैदान में 20 नवंबर को चौरसिया समाज का सामूहिक परिचय और विवाह सम्मेलन आयोजित किया गया। यहां शनिवार को विवाह योग्य युवक-युवतियों के बीच परिचय हुआ। वहीं रविवार को इस आयोजन में 20 जोड़े विवाह के बंधन में बंधे।

बता दें कि इस विवाह समारोह में अलग बात यह रही कि 20 जोड़ों में से चार ने अंतरजातीय विवाह रचाया है, जिनमें वर चौरसिया और वधु अन्य जाती और समुदाय से ताल्लुक रखती हैं, जिनके परिवारों की सहमति से यह विवाह संपन्न हुए हैं। विवाह की सारी रस्में हिन्दू और वैदिक रीति-रिवाज से आचार्य विद्यासागर की ओर से अग्नि को साक्षी मानकर परिणय सूत्र पूरी की गई।

अंतरजातीय विवाह के यह रहे जोड़े…

  • 1: दीपेंद्र चौरसिया महाराजपुर का विवाह शर्मिला कुमरे से
  • 2: मोहित चौरसिया बुलंदशहर का विवाह दिल्ली की गौरी हलधर से
  • 3: लोकेश चौरसिया लवकुशनगर का विवाह रीता कुशवाहा लवकुशनगर से
  • 4: नरेंद्र कुमार चौरसिया बवेरू बांदा का विवाह वंदना भांवरे भरतकूप चित्रकूट से
  • 5: दिव्यांग जयप्रकाश चौरसिया महाराजपुर का विवाह 28 साल की गीता चौरसिया महाराजपुर के साथ संपन्न हुआ

केंद्रीय मंत्री और विधायक की मौजूदगी में हुए विवाह…

20 वैवाहिक आयोजनों में चार अन्तरजातीय विवाहों की साक्षी केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल और क्षेत्रीय विधायक नीरज दीक्षित रहे। इन विवाहों के साक्षी बनने उन्होंने मंच से वैवाहिक जोड़ों की वरमाला कराई और आशीर्वाद भी दिया। 20 जोड़ों में से एक दिव्यांग की शादी हुई, जिसमें 31 साल के जयप्रकाश चौरसिया महाराजपुर का विवाह 28 साल की गीता चौरसिया महाराजपुर के साथ हुआ, जिसमें जयप्रकाश पैरों से दिव्यांग हैं, वहीं गीता एकदम फिट हैं।

एक विवाह ऐसा भी…

यहां चार अंतरजातीय विवाह में एक जोड़ा ऐसा था, जो कि पिछले दो साल से लिव-इन में रह रहा था। इनके परिवार वालों ने इसे सामाजिक वैध करार देने के लिए इनका सम्मेलन में विवाह कराया। यहां उन्होंने रीति-रिवाज और मंत्रोच्चारण के बीच विवाह संपन्न कराया और पारिवारिक सामाजिक मान्यता प्राप्त की।

साल 2018 से लिव-इन पार्टनर की शादी…

दो साल लिव-इन में रहने के बाद ब्याह रचाने वाले महाराजपुर के 26 साल के दीपेंद्र और बैतूल की 24 साल की शर्मिला बताते हैं कि उनकी मुलाक़ात साल 2018 में सीहोर जिले के बुधनी में (Trydent) कंपनी में जॉब करने के दौरान हुई थी। तब से ही उन्हें एक-दूसरे से प्यार हुआ। पहले यह मुलाकात दोस्ती की रही, फिर धीरे-धीरे प्यार में बदल गई और यह प्यार इतना परवान चढ़ा कि दोनों ने एक-दूसरे का जीवन भर साथ देने और एक साथ जीने मारने की कसमें खा लीं।

इस दौरान अपने प्यार के बारे में दोनों ने अपने परिजनों और परिवार को बताया, जिसे जानकर पहले तो वे अवाक रह गए और राजी नहीं हुए। जब दोनों ने अलग न होने की बात कही तो दीपेंद्र के परिजन तो मान गए पर शर्मिला के परिजन नहीं माने तो शर्मिला ने अपने परिजनों से कह दिया कि मैं तो शादी करने जा रही हूं आप लोग आना चाहो तो आ जाओ पर वे नहीं आए। दीपेंद्र के परिवार ने ही वधु पक्ष की ओर से रस्में अदा करने का फैसला लिया और दूल्हे दीपेंद्र के बारीगढ़ वाले मामा-मामी सुनील-रागिनी चौरसिया ने कन्यादान सहित सारी रस्म अदायगी की और बेटी बनाकर माता-पिता का फर्ज निभाने की बात कही है।

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