छत्तीसगढ़

तपोभूमि में सियासी डोर: दिल्ली ‘परिक्रमा’ के बाद मां नर्मदा की शरण में CM बघेल, क्या अमरकंटक की तपोभूमि से निकलेगा कोई हल ?

अनूपपुर: छत्तीसगढ़ की राजनीति में उतार-चढ़ाव के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) अपने 2 दिनों की यात्रा के दौरान पहले दिन बुधवार को अमरकंटक पहुंचे हैं. इस दौरान वे अमरकंटक इलाके के पर्यटन क्षेत्र (tourist area) का मुआयना कर रहे हैं.

यह यात्रा बघेल की आध्यात्मिक यात्रा है या राजनीतिक यात्रा, तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन इस दौरान मुख्यमंत्री किसी भी राजनीतिक सवाल का जवाब नहीं दे रहे हैं. राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि भले भूपेश बघेल सीएम हैं, लेकिन अब वे भी लगातार दिल्ली परिक्रमा से थक चुके हैं. ऐसे में अपने राजनीतिक स्थायित्व के लिए वे मां नर्मदा (mother narmada) की शरण में गए हैं.

बुधवार सुबह रायपुर से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय में हेलीकॉप्टर से उतरे. वहां उन्होंने करंगरा से गौरेला पहुंच मार्ग की घोषणा की. फिर अमरकंटक इलाके से छत्तीसगढ़ के उस इलाके में पहुंचे, जहां पर्यटन को लेकर अपार संभावना है.

राजनीतिक सवाल शुरू होते सीएम ने फेर लिया मुंहभूपेश बघेल ने वहां सभी मुद्दों पर बेबाकी से बातचीत की. पर्यटन क्षेत्र को अध्यात्म से जोड़कर बिना हार्ड कंक्रीट के इस क्षेत्र को विकसित करने की बात भी की. लेकिन जहां राजनीति की बात शुरू हुई, उन्होंने मुंह फेर लिया. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि वे भी इन दिनों प्रदेश की राजनीति में चल रही रस्साकसी से थक चुके हैं और अब स्थायित्व चाहते हैं.

अपनी इस यात्रा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मां नर्मदा क्षेत्र में पड़ने वाले कई ऐसे गुप्त स्थानों का भ्रमण करेंगे, जहां उनके राजनीतिक समर्थकों को भी आने की अनुमति नहीं है. मीडिया को भी उस पूजा-पाठ से दूर रखने की कोशिश की गई. फिलहाल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी प्रथम दिवस की यात्रा समाप्त कर आराम के लिए चले गए हैं, लेकिन अचानक अमरकंटक आने का यह कार्यक्रम क्यों बना. यह एक बड़ा सवाल है.

टीएस बाबा दिल्ली से लौटकर रायपुर आए हैं और वो भी कह रहे हैं कि उनके शुभचिंतकों ने भी उन्हें चुप रहने की सलाह दी है. इस बीच अचानक भूपेश बघेल अमरकंटक चले जाते हैं. इसके राजनीतिक मायने क्या निकाले जाएं. क्या अमरकंटक क्षेत्र की तपोभूमि से प्रदेश की राजनीति का कोई हल निकल कर आएगा ? क्या कोई तंत्र-मंत्र अनुष्ठान की भी योजना है? जिससे अपने समर्थकों सहित मीडिया को भी दूर रखा जा रहा है. इन सवालों के जवाब तो भविष्य के गर्भ में छिपा है. बहरहाल, सीएम बघेल की इस यात्रा ने एक बार फिर से छत्तीसगढ़ की राजनीति में उथल-पुथल मचा दिया है

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